Thursday, September 6, 2018

सऊदी अरब इस इमाम के लिए क्यों चाहता है सज़ा-ए-मौत

सऊदी अरब में अगर सोशल मीडिया पर किया गया किसी तरह का व्यंग्य "सरकार के आदेश और धार्मिक मूल्यों का मज़ाक उड़ाता है या उकसावे या बाधा डालने वाला लगता है तो उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.
सऊदी अरब के सार्वजनिक अभियोजन पक्ष ने ऐसे मामलों में सज़ा दिए जाने की वकालत की है.
ऐसे व्यंग्य लिखने और शेयर करने वाले को पांच साल की सज़ा और आठ लाख डॉलर का जुर्माना भरना पड़ सकता है.
अभियोजन पक्ष इससे पहले भी सरकार की आलोचना करने वालों के खिलाफ एंटी-साइबरक्राइम लॉ का इस्तेमाल करता रहा है.
लेकिन ताज़ा घोषणा के तहत सोशल मीडिया पर व्यंग्य भरे पोस्ट लिखने वाले लोगों पर भी अब गाज गिरेगी. पिछले साल सऊदी अरब की सरकार ने असहमति जताने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की थी. इसमें महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले दर्जनों कार्यकर्ताओं, मानवाधिकार रक्षकों, प्रभावशाली धार्मिक नेताओं और बुद्धिजीवियों को हिरासत में लिया गया था. इनमें जानेमाने धार्मिक नेता सलमान-अल-अवदाह भी शामिल हैं. ट्वीटर पर उनके 14 मिलियन से ज़्यादा फॉलोअर्स हैं. ऊदी अरब के सार्वजनिक अभियोजन पक्ष ने सलमान-अल-अवदाह के लिए मौत की सज़ा की मांग की है. उनपर चरमपंथ से जुड़े आरोप लगाए गए हैं.

उनके ख़िलाफ़ रियाद में चल रहे विशेष आपराधिक कोर्ट में सुनवाई के पहले दिन ये मांग रखी गई.
61 साल के सलमान-अल-अवदाह के ख़िलाफ़ कुल मिलाकर 37 मामले दर्ज किए गए हैं. लंदन की सऊदी राइट्स फाउंडेशन के मुताबिक इन मामलों में सरकार के ख़िलाफ़ लोगों को उकसाने का मामला भी शामिल है.
अवदाह के बेटे ने इस खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि उनके पिता के ख़िलाफ़ आलोचना भरे ट्वीट करने और पैगंबर मोहम्मद के सम्मान की रक्षा के लिए एक संस्था बनाने का आरोप है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल के कार्यकर्ता डाना अहमद ने पत्रकारों से कहा, "सऊदी में ये चिंताजनक ट्रेंड गंभीर संदेश दे रहा है कि शांतिपूर्ण असहमति और अभिव्यक्ति दर्शाने वाले लोगों को मौत की सज़ा दी जाएगी."
हालांकि सऊदी के अटॉर्नी जनरल ने इस मामले पर अबतक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
सऊदी अरब के शासन में राजपरिवार का बोलबाला है. यहां सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शन करने और राजनीतिक पार्टी बनाने पर रोक है.
पिछले साल असहमति जताने वाले कई धार्मिक नेताओं, बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई की गई थी. ये गिरफ्तारियां ऐसे समय में हुई जब सऊदी की सरकार कई तरह के सामाजिक और आर्थिक बदलाव लाने की बात कर रही है.
सलमान-अल-अवदाह को भी 2017 में अन्य 20 लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा था कि अवदाह को एक ट्वीट के कुछ देर बाद गिरफ्तार किया गया था. ट्वीट में उन्होंने सऊदी अरब और कतर के बीच संभावित सुलह का स्वागत किया था. इससे पहले भी वो सऊदी सरकार की आलोचना करते रहे हैं.
ब्रिटेन में पूर्व रूसी जासूस सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी यूलिया स्क्रिपल पर ज़हरीले नर्व एजेंट नोविचोक से हमले के मामले ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस सम्बन्ध में हुई एक बैठक में दोनों पक्षों की ओर से तीखी बयानबाज़ी हुई है.
इस बैठक में ब्रिटेन के जांचकर्ताओं ने परिषद को पूरी जानकारी दी. ब्रिटेन का स्पष्ट आरोप है कि सर्गेई और यूलिया पर रूसी सेना के ख़ुफ़िया अधिकारियों ने हमला करवाया है.
अमरीका, फ़्रांस, जर्मनी और कनाडा ने भी रूस के ख़िलाफ़ ब्रिटेन के आरोपों का समर्थन किया है.
चारों देशों के शीर्ष नेताओं ने मिलकर एक संयुक्त बयान जारी किया. रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीज़ा मे, जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल, फ़्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की ओर से जारी किए गए इस बयान में कहा गया-
"हम फ़्रांस, जर्मनी, अमरीका, कनाडा और ब्रिटेन के नेता सैलिस्बरी में 4 मार्च को नोविचोक नाम के रासायनिक नर्व एजेंट के इस्तेमाल पर अपनी नाराज़गी और विरोध दुहरा रहे हैं."
साझा बयान में इन देशों ने रूस से उसके नोविचोक कार्यक्रम का पूरा ब्योरा सार्वजनिक करने की मांग भी की है.
संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन की राजदूत कैरेन पियर्स ने कहा कि रूस अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के ख़िलाफ़ जाकर चीज़ों को अंजाम दे रहा है.
कैरेन ने कहा, "हम जो करना चाहते हैं, लोग उसका समर्थन कर रहे हैं. इससे पता चलता है कि रूस किस तरह उस अंतरराष्ट्रीय तंत्र के ख़िलाफ़ काम कर रहा है. वही तंत्र जो साल 1945 से हमारी सुरक्षा कर रहा है. लेकिन हम अपने सहयोगियों के साथ मिलकर रूस को ऐसा करने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं."
ब्रिटेन का अगला कदम क्या होगा, इस बारे में कैरेन ने कहा, "ये ज़ाहिर है कि हमें अंतरराष्ट्रीय तंत्र को और मज़बूत बनाने की ज़रूरत है. ऐसा अंतरराष्ट्रीय तंत्र जो सुनिश्चित करे कि रासायनिक हथियारों पर पाबंदी का मतलब पाबंदी ही होता है."
संयुक्त राष्ट्र में अमरीकी राजदूत निकी हेली ने कहा कि अमरीका रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल की स्पष्ट आलोचना करता है फिर चाहे वो ब्रिटेन के सैलिस्बरी मे हो या दुनिया के किसी और कोने में.
उन्होंने कहा, "हम इन भयंकर हथियारों के ख़िलाफ़ बने अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों और ब्रिटेन के लोगों के साथ मज़बूती से खड़े हैं.
दूसरी तरफ़ रूस ने इन सारे आरोपों को अस्वीकार्य बताते हुए ख़ारिज किया है. रूस ने ब्रिटेन बिना किसी सबूत के उस पर आरोप लगाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और कहा कि वो रूस के ख़िलाफ़ घृणित दुर्भावना से ग्रस्त है.
इस साल 4 मार्च को दक्षिणी ब्रिटेन के सैलिस्बरी सिटी सेंटर में 66 साल के पूर्व रूसी जासूस सर्गेई स्क्रिपल और उनकी 33 साल की बेटी यूलिया स्क्रिपल एक बेंच पर बेहोशी की हालत में मिले थे.
बाद में दोनों पर ज़हरीले नर्व एजेंट से हमला होने की बात सामने आई थी. दोनों की स्थिति काफ़ी नाजुक थी लेकिन लंबे वक़्त तक अस्पताल में रहने के बाद वो बाहर आ गए थे.
ब्रिटेन की सरकार ने कहा था कि इस हमले में रूस में बने नर्व एजेंट नोविचोक का इस्तेमाल किया गया है.
इस घटना ने ब्रिटेन और रूस के संबंधों को भी तल्ख़ कर दिया था. इस हमले का आरोप रूस पर लगाते हुए पहले ब्रिटेन ने और फिर उसके समर्थन में 20 से ज़्यादा देशों ने अपने यहां से रूसी राजनयिकों को निकाल दिया था.
अमरीका ने भी अपने यहां से 60 रूसी राजनयिकों को देश छोड़ने को कहा था और सिएटल का रूसी दूतावास बंद कर दिया था.
इसके बाद जुलाई में ब्रिटेन के एक दंपति पर भी उसी नर्व एजेंट से हमले की घटना सामने आई थी जिससे यूलिया और उनके पिता पर हमला किया गया था.

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